Happy New Year 2019 : जानें क्यों मनाया जाता है नया साल, जानें इससे जुड़ी पंरपरा

नए साल

 

वैसे तो पूरी दुनिया में ही 31 दिसंबर को ही New Year मनाया जाता है, और ये माना जाता है कि इस दिन यानि साल के पहले दिन से शुरू किए गए हर काम में सफलता मिलती है। 31 दिसंबर को New Year मनाने के इतिहास के बारे में बात करें, तो सबसे पहले रोमन साम्राज्य में इसकी शुरूआत हुई। 742 में रोम का दौरा करने वाले इंग्लैंड के एक मिशनरी सेंट बोनिफेस को ये जानकर हैरानी हुई कि       

      रोम के लोग जनवरी के पहले दिन को कैसे मनाते हैं क्योंकि वो नए साल पर "गलियों में नाच रहे थे, तो कुछ गीत गा रहे थे। प्राचीन रोम में New Year छह दिनों तक मनाया जाता था। इसके बाद से ये पंरपरा इग्लैंड भी पहुंच गई और वहां के लोग भी पहली जनवरी को New Year मनाने लगे। इसके अलावा (New Year) मानने का समय रोमन संस्कृति की तरह ही अलग-अलग संस्कृतियों में अलग होता है। जैसे हिंदू, चीनी संस्कृतियों में New Year चैत्र मास (Mid of March) में मनाया जाता है। तो वहीं स्कॉटलैंड में, इन दिनों में किसी भी अदालत में काम नहीं किया जाता है और आयरलैंड की परंपरा के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति New Year के बारह दिनों के दौरान मर गया, तो वह सीधे स्वर्ग में चला जाता है।    चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था। हमारा नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है। इस दिन ग्रह और नक्षत्र मे परिवर्तन होता है। हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है।      पेड़-पोधों मे फूल,मंजर,कली इसी समय आना शुरू होते है, वातावरण मे एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है। जीवो में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है। इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था। नवरात्र की शुरुआत इसी दिन से होती है। जिसमे हमलोग उपवास एवं पवित्र रह कर नव वर्ष की शुरूआत करते है।      परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है। इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है। वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है। चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया। 

  नई फसल घर मे आने का समय भी यही है। इस समय प्रकृति मे उष्णता बढ्ने लगती है, जिससे पेड़ -पौधे, जीव-जन्तु मे नव जीवन आ जाता है। लोग इतने मदमस्त हो जाते है कि आनंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते है। गौर और गणेश कि पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान मे कि जाती है। चैत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है, मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि मे होता है। 

  नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है। विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है।   

Happy New Year 2019:  ऑस्ट्रेलिया में नए साल ने दी सबसे पहले दस्तक,   

  इस शहर में सबसे पहले नए साल का स्वागत किया जाता है.

 

नई दिल्ली: Happy New Year 2019: साल 2019 का आगाज़ हो चुका है...इसकी शुरुआत न्यूज़ीलैंड (New Zealand) से हुई है, जहां रात के 12 बजते ही आसमान आतिशबाज़ी की रोशनी से जगमगा उठा. वहीं ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में भी आतिशबाज़ी से नए साल का स्वागत किया गया. हार्बर ब्रिज पर करीब 12 मिनट तक आतिशबाज़ी होती रही. सिडनी का आसमान पटाखों से 12 मिनट तक जगमगाता नजर आया. विभिन्न समुद्रतटीय स्थलों और पार्क में जुटे 15 लाख से अधिक लोगों ने इस नजारे का लुफ्त उठाया. तेज बारिश भी जश्न मनाने वालों का उत्साह फीका नहीं कर पाई. ये लोग विभिन्न जगहों पर एकत्र हुए थे. उनमें से कुछ तो तड़के से जमे थे.

पुराना साल सबसे हो रहा है दूर

क्या करें यही है कुदरत का दस्तूर

बीती यादें सोच कर उदास न हो तुम

करो खुशियों के साथ नये साल को मंजूर   

 

 मायूसी रहे आपसे कोसो दूर

सफलता और खुशियां मिले भरपूर

पूरी हो आपकी सारी आशाएं

नव वर्ष की आपको ढेरों शुभकामनाएं

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