साइबर क्राइम (ऑनलाइन अपराध) Cyber Crime in Hindi

 इंटरनेट एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा लोग एवं कंपनियां दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर तक जुड़ पाते है। तकनीकी उन्नति ने मनुष्य को इंटरनेट पर हर रूप से निर्भर कर दिया है। इंटरनेट की आसान पहुंच ने हर चीज को सिर्फ एक जगह पर बैठकर ही उपलब्ध करा दिया है।

सामाजिक नेटवर्किंग, ऑनलाइन खरीद, जानकारी का आदान प्रदान, गेमिंग, ऑनलाइन पढ़ाई, ऑनलाइन नौकरियां, जिस भी चीज के बारे में मनुष्य कल्पना कर सकता है, वह सभी बस एक क्लिक के द्वारा इंटरनेट से संभव है।

 

इंटरनेट आज के युग में हर क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाता है। इंटरनेट के बढ़ते फायदों के साथ साइबर अपराध जैसा भयावह मुद्दा भी उभर कर आया है। साइबर अपराध अलग-अलग तरीकों से प्रतिबद्ध होते हैं। कुछ सालों पहले तक इन सब चीजों के बारे में इतनी जागरूकता नहीं थी। अन्य विदेशी देशों के साथ साथ भारत में भी साइबर अपराध की घटनाएं एवं दर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।\

साईबर अपराध से खुद को सुरक्षित रखने के लिए व्यक्ति को अपने कम्पयूटर में पहले ही एंटीवायर्स रखना चाहिए। अपनी नीजी वाहनों जानकारी को इंटरनेट पर साझा नहीं करना चाहिए। खरीददारी हमेशा विश्वसनीय वैबसाईट से ही करनी चाहिए ताकि क्रैडिट कार्ड की जानकारी गलत हाथों में न जाए। किसी भी आकर्षक इमेल का उतर पूरी तरह से छानबीन कर लेने के बाद ही दें। बच्चों को इंटरनेट का सीमित प्रयोग ही करने दे। किसी भी लिंक को खोलने से पहले सोच ले और यदि आपका फेसबूक या ट्विटर आदि का अकाउंट हैक होता है तो उसकी जानकारी पुलिस को दे।

सरकार ने भी साईबर अपराधियों के लिए बहुत से दंडनीय कानून बनाए है लेकिन हमें भी अपनी सुरक्षा का ध्यान स्वयं रखना चाहिए और खुद को जागरूक बनाना चाहिए। साईबर अपराध को अंजाम देने वाला हमारा कोई करीबी भी हो सकता है इसलिए अपनी उपयोगकर्ता नाम, पासवर्ड या अन्य नीजी जानकारी किसी को भी न दे। इंटरनेट का सूचारू रूप से प्रयोग ही साईबर अपराधों को रोक सकता है और हमें बहुत सी अपराधिक घटनाओं से सुरक्षित रख सकता है।

साइबर अपराध को दो तरह से वर्गीकृत किया गया है -:

पहला, ऐसे अपराध जिनमें कंप्यूटर को लक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

दूसरा, ऐसे अपराध जिनमें कंप्यूटर को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है।

नेशनल क्राईम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराध की दर साल 2011 में 85% तक बढ़ी है, देश के विभिन्न राज्यों से यह आंकड़ा इकट्ठा किया गया है। साइबर अपराध में गिरफ्तार हुए ज्यादातर अपराधियों की आयु 18 से 30 वर्ष पाई गई।

साइबर स्टॉकिंग

यह एक ऐसा अपराध है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को बार-बार उत्पीड़न का शिकार बनाया जाता है; पीड़ित का पीछा करके, तंग करके, कॉल द्वारा परेशान करके, संपत्ति के साथ छेड़छाड़ करके। स्टॉकिंग के उपरांत पीड़ित को मानसिक एवं शारीरिक रूप से हानि पहुंचाना मकसद होता है। स्टौकर (अपराधी) पीड़ित की सारी जानकारी अवैध रूप से इकट्ठा करके एवं इंटरनेट पर उनकी गलत छवि दिखाकर हानि पहुंचाने का लक्ष्य रखते हैं, ताकि भविष्य में भयादोहन करके उनका अनुचित लाभ उठा सकें।

 

सर्विस अटैक

यह एक ऐसा अपराध है, ऐसा हमला है जिसमें पीड़ित के नेटवर्क या विद्युत संदेश पात्र को बेकार यातायात एवं संदेशों से भर दिया जाता है। यह सब इसलिए किया जाता है ताकि पीड़ित को जानबूझकर तंग किया जा सके या पीड़ित अपना ईमेल इस्तेमाल ना कर पाए।

हमें यह जानना जरूरी है कि साइबर क्राइम से कैसे बचें. क्‍यों अगर आप इंटरनेट का इस्‍तेमाल करते हैं तो आप भी कभी न कभी साइबर क्राइम के शिकार हो सकते हैं.

 

अगर आप कंप्यूटर का इस्‍तेमाल करते हैं तो आप को हैकर्स से अपने कंप्यूटर को बचाने के लिए एक फ़ायरवॉल का इस्‍तेमाल करना चाहिए.

 

आप के कंप्‍यूटर में वायरस न आए इसलिए आपको एंटी वायरस सॉफ्टवेयर जैसे McAfee या Norton का इस्‍तेमाल करना चाहिए. अगर एक बार आप के कंप्‍यूटर में वाइरस घुस गया तो आप के डाटा को पूरी तरह खराब कर सकता है.

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