कैसे गर्लफ्रेंड से फोन पर बात करें (Talk to Your Girlfriend on the Phone)

फ़ोन करने की यह कोशिश लड़कियों को यह दिखाती है कि आपकी उनमें रुचि है और इससे उनको यह भी लगता है कि कोई उनको चाहता है। आप अपनी पुरानी प्रेमिका को फ़ोन कर रहे हों या उस सुंदरी को जिससे आप अभी-अभी मिले हों, फ़ोन पर बात करने के इन तरीकों को आज़माएं ताकि वह आप पर फ़िदा हो जाये I

लड़की के शेड्यूल के अनुसार चलें: बात करने का एक समय निर्धारित कर लें, या तब फ़ोन करें जब आपको लगे कि वह ख़ाली होगी। उसको इस दुविधा में न डालें कि उसे आपमें और अपने परिवार या अन्य दोस्तों में से किसी एक को चुनना पड़े। ड्रामा क्लब, फुटबॉल प्रैक्टिस, फेमिली डिनर, अथवा कॉफ़ी शॉप में उसकी शिफ्ट समाप्त होने के बाद फ़ोन करें।

फ़ोन करने के कुछ घंटे पहले उसे टेक्स्ट करें: "हाय, क्या आज रात में आपके लिए बात करना संभव होगा?" अथवा "क्या मैं 7 बजे आपको फ़ोन कर सकता हूँ?" फ्लेक्सिबल (flexible) रहिए और ऐसा समय चुनें जो दोनों के लिए सुविधाजनक हो।

यदि वह व्यस्त हो:

मत होइए: इर्रिटेट या परेशान।

ज़रूर कहें: "तब कल रात को फ़ोन करना कैसा रहेगा?" अथवा "मिड टर्म्स एग्जाम के लिए गुड लक! वीकेंड में बात करें क्या?"

जब आप किसी लड़की से बात करो तो बात करने में एक सेन्स होनी चाहिए क्योंकि अगर आपके बात करने का स्टाइल अच्छा नही होगा तो कोई भी लड़की आपसे बात करना नही चाहेगी।

 

* सबसे पहली बात कि आपके पास लड़की से बात करने का कोई न कोई रीज़न होना चाहिए चाहे फिर क्यों न वो रीज़न झूठा ही क्यों न हो। अगर आप किसी भी लड़की को वेवजह फोन करते हैं तो वो आपके बारे में कुछ इस तरह के विचार बना सकती है जैसे कि आप बहुत ज्यादा खाली हैं, आपके पास कोई भी काम नहीं है और आपको किसी के साथ बातें करके बस टाइम पास करना है। 

 

* लडकिया खुद घुमाफिरा के बात करना पसंद करती है पर उनके साथ अगर कोई घुमाफिरा के बात करता है तो वो उनको बिलकुल अच्छा नही लगता, अगर कोई लड़की किसी लड़के को प्रोपोज़ करने जाती है तो वो उससे डायरेक्ट आई लव यू बोलने के वजाय 100 तरीको से समझाने की कोशिश करेगी पर अगर कोई लड़का ऐसा उनके साथ करे तो वो उस लड़के को रिजेक्ट कर देती है तो अगर आपको भी घुमाफिरा के बात करने की आदत है तो उससे आज ही बदल डाले दोस्त, लड़की से बात करते वक़्त पॉइंट के हिसाब से बात करे चाहे बात कम ही क्यों ना हो ज्यादा बात करने के चक्कर में खुद को उसके सामने लल्लू मत बनाइये।

वैसे 'टेलीफ़ोबिया' कोई नई बीमारी नहीं. 1986 में ही जॉर्ज डडली और शैनन गुडसन ने क़िताब लिखी थी, ''द साइकोलॉजी ऑफ सेल्स कॉल रिलक्टेंस''.

 

इसी तरह 1929 में ब्रिटिश कवि रॉबर्ट ग्रेव्स ने लिखा था कि उन्हें पहले विश्वयुद्ध में मिले ज़ख़्म के बाद फ़ोन पर बात करने से डर लगने लगा था. यानी 'टेलीफ़ोबिया', फ़ोन ईजाद होने के वक़्त की ही बीमारी है. हालांकि हाल के दिनों में स्मार्टफ़ोन के बढ़ते चलन की वजह से ये बीमारी भी काफ़ी नज़र आने लगी है.

 

इसकी वजह सिर्फ़ फ़ोन नहीं. कई बार अनजान लोगों से बात करने में हिचक या डर भी इसकी वजह होती है. किसी को नाराज़ करने का डर भी फ़ोन पर बात करने से हिचक पैदा करता है.

 

ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो फ़ोन पर बतियाते वक़्त हकलाने लगते हैं. उन्हें लगता है कि सामने वाले की नज़र में वो बुद्धू साबित हो रहे हैं. ऐसे लोग ई-मेल या टेक्स्ट मैसेज के ज़रिए बात करने को तरजीह देने लगते हैं.

परिवार और करियर के बारे जानें 

वैसे तो किसी भी रिश्ते की शुरूआत करने और पार्टनर को जानने के लिए मिलना बेहद ही जरूरी होता है, लेकिन अगर ये संभव न हो तो आप फोन पर भी एक-दूसरे के परिवार और करियर के बारे में बात कर सकते हैं। इसके साथ ही आप अपनी और फैमिली फोटोज़ भी एक-दूसरे से शेयर कर सकते हैं। इससे रिश्ते में आपसी भरोसा बढ़ता है।

हॉबीज करें शेयर 

अपने पार्टनर से फोन पर बात करते वक्त कभी कभी एक-दूसरे की पसंद,नापसंद और हॉबीज़ के बारें में जानने की कोशिश करें। इससे आप अगली बार उन टॉपिक्स के जरिए बातों को आगे बढ़ाया जा सकता है, साथ ही इससे आप एक-दूसरे के करीब आने का मौका मिलता है।

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